Saturday 17 December 2016

राजीव दीक्षि‍त जी का जीवन परिचय - हिंदी कल्याण न्यास

आखिर कौन थे श्री राजीव दीक्षित ???
आपने श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में कई बार सुना होगा पर क्या आप उनके कार्यों के बारे में भी जानते है ?? अगर आपके ह्रदय में अपने देश के लिए थोडा सा भी प्रेम है तो कृपया थोडा सा समय निकाल कर एक बार श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में अवश्य जाने।
यहाँ श्री राजीव दीक्षित जी द्वारा किये गए कुछ कार्य:
भोपाल गैस हत्याकांड की गुनाहगार कंपनी (UNION CARBIDE – एक अमेरिकी कंपनीजिसकी वजह से २२,००० लोगो की जान गयीउस कंपनी को हमारी सरकार ने माफ़ कर दिया था लेकिन श्री राजीव दीक्षित जी को यह बात नहीं जमी और उन्होंने इस २२,००० बेगुनाह भारतीयों की हत्या करने वाली कंपनी को इस देश से भगाया।
श्री राजीव दीक्षित जी ने १९९१ में डंकल प्रस्ताव के खिलाफ घूमघूम कर जनजागृति की और रैलियाँ निकालीं।
उन्होंने विदेशी कंपनियों द्वारा हो रही भारत की लूटखासकर कोका कोला और पेप्सी जैसे प्राण हर लेने वाले,जहरीले कोल्ड ड्रिंक्स आदि के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की।
१९९१९२ में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कम्पनी (जो हर दिन चार करोड़ लीटर दारू बनाने वाली थी)के शराबकारखानों को बन्द करवाने में श्री राजीव भाई जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
१९९५९६ में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चे में उन्होंने बहुत संघर्ष किया और वहाँ पर हुए पुलिस लाठी चार्ज में उन्हें काफी चोटें भी आई।
इसी प्रकार श्री राजीव दीक्षित जी ने CARGILL, DU PONT, केडिया जैसी कई बड़ी विदेशी कंपनियों को भगाया जो इस देश को बड़े पैमाने पर लूटने की नियत से इस देश में अपना डेरा जमाना चाहती थी।
उसके बाद १९९७ में सेवाग्राम आश्रमवर्धा में प्रख्यात् इतिहासकार प्रो० धर्मपाल के साथ अँग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके समूचे देश को संगठित और आन्दोलित करने का काम किया। अपने व्याख्यानों से देश के स्वाभिमान को जगानेदेश को संगठित करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाया। राजीव भाई ने स्वदेशी आंदोलन तथा आजादी बचाओ आंदोलन की शुरुआत की तथा इनके प्रवक्ता बने।
मजबूत तथ्यों और दमदार आवाज के साथ उनके व्याख्यानों में इतनी सच्चाई और चुम्बक– जैसा आकर्षण होता था कि सभी लोग उन्हें सुनने के लिए खींचे चले आते थे। उनके दिमाग में ५,००० से भी अधिक वर्षो का ज्ञान समाहित था। उन्हें चलता फिरता “एनसाइक्लोपेडिया” कहा जाता है।
श्री राजीव जी के हृदय में अत्यंत तीव्र ज्वाला थीइस भ्रष्ट तंत्रभ्रष्ट व्यवस्था के प्रति इस देश कि गरीबी को देखकर उनकी आखो से आंसु निकल पड़ते थे।
बिना मीडिया की सहायता के उन्होंने पूरे देश को जगाया।
राजीव दीक्षित जी के अन्दर एक महान वैज्ञानिकएक महान विचारकएक महान इतिहासकारएक महान वैद्यएक महान वक्ताएक महान शोधकर्ताएक महापुरुष के सभी गुण विद्यमान थे। उन्होंने बिना दवाईयों के पूरा जीवन स्वस्थ रहने के अत्यंत सरल सिद्धांत बतायेजिनसे आज लाखो लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
राजीव भाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं जयंती की शाम को कोलकाता में आयोजित किये गए कार्यक्रम का नेतृत्व कियाजो कि विभिन्न संगठनों व प्रख्यात व्यक्तियों द्वारा प्रोत्साहित व प्रचारित किया गया था और पूरे देश में मनाया गया था। उन्होंने नयी दिल्ली में स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में 50,000 लोगों को संबोधित किया।
हमारे देश का धन विदेशी बेंको में काले धन के रूप में जमा पड़ा हैइस बात की जानकारी सबसे पहले पूरे देश की जनता को भाई राजीव दीक्षित जी ने ही बताई थी न की बाबा रामदेव ने।
जनलोकपाल जेसे कानूनों के बारे में सर्वप्रथम इस देश को श्री राजीव दीक्षित जी ने ही बताया। राइट टू रिजेक्ट और राइट तो रिकॉल जैसे कई मजबूत कानूनों के बारे में पूरे देश को जानकारी दी न की अण्णा हज़ारे या काइजरिवाल ने ।
भारत को पुनः विश्वगुरु कैसे बनाया जायेइसका बहुत ही सरल और प्रमाणिक उपाय श्री राजीव दीक्षित जी ने ही बताये। हमारे देश के हजारों– लाखों साल पुराने स्वर्णिम अतीत को कई वर्षो तक अध्ययन कर पूरे देश को इस बारे में बताया और हमारे गौरव से अवगत करवाया। अंग्रेजी भाषा की सच्चाई के बारे में पूरे देश को बताया। संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता के बारे में गहन अध्ययन कर देश को बताया। देश में पहली बार विदेशी कंपनियों के षड्यन्त्र के बारे में बहुत बड़े स्तर लोगो पर बताया। स्वदेशी के स्वीकार और विदेशी के बहिष्कार की बात देश को पूरी प्रमाणिकता के साथ बताया।
भारत की विश्व को क्या क्या देन रहीइस बारे में अति महत्वपूर्ण जानकारियां बताई। श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें बताया की सबसे पहले प्लेन का आविष्कार भारत के श्री बापू जी तलपडे ने किया था वो भी राइट बंधुओ से सात साल पहले। जन– गनमन और वन्दे मातरम की सच्चाई के बारे में पहली बार पूरे देश को उन्होंने ही बताया। पहली बार इस देश में श्री राम कथा को एक नए देशभक्ति सन्दर्भ में प्रस्तुत करने वाले भी श्री राजीव दीक्षित जी ही है।
उदारीकरण और वैश्वीकरण की सच्चाई को पूरे देश के सामने रखा और इसके कई दुष्प्रभावों से देश को बचाने के लिए अपनी अंतिम स्वांस तक प्रयास करते रहे।
हमारे देश के गाँवगाँव में जाकर इस देश की हर एक समस्या को देखासमझा तथा उसके निवारण के लिए प्रभावशाली उपाय बताये और किये। वो होमियोपेथी और आयुर्वेद के महान विद्वान रहे है। महर्षि वाघभट्ट जी के “अष्टांग हृदयं” नामक ग्रन्थ को कई वर्षी तक अध्ययन कर उसे आज की जलवायु एवं परिस्थितियों के हिसाब से पुनर्रचित किया तथा बहुत ही सरल तरीकों से उसे आम जनता के बीच बताया जिससे हम बिना किसी दवाई केबस खानेपीने आदि के समय और सही तरीके मात्र से स्वस्थ रहने के उपाय बताये।
श्री राजीव दीक्षित ने लाखोँ लोगो के दिलोदिमाग में प्रत्यक्ष रूप से देशभक्ति की ज्वाला नहीं अपितु धधकता लावा प्रज्वलित किया। इस देश को कैसे महाशक्ति बनाया जा सकता हैइसके लिए बहुत ही सरल उपाय बताये जिन उपायों पर आज बहुत से लोग कार्य कर रहे हैं।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए बहुत ही जबरदस्त उपाय बताये। ग्लोबल वार्मिंग एवं वैश्विक भुखमरी को एक साथ ख़त्म करने के लिए पूरे प्रमाणों के साथ सिद्ध किया की अगर मांसाहारी खाना खाना बंद कर दिया जाये तो दोनों समस्याओं से एक साथ छुटकारा पाया जा सकता है। विदेशी षणयंत्रों से पहली बार पूरे देश को अवगत करवाया। उनके पास हर एक समस्या का समाधान बहुत ही सरलता और प्रमाणिकता के साथ उपलब्ध रहता था।
पेट्रोलडीजल आदि की समस्या का छुटकारा पाने के लिए कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने गोबर गैस से व्हिकल चलाने के सफल प्रयोग किये जिसमें नाम मात्र का खर्चा आता है।
श्री राजीव दीक्षित जी ने ही पेप्सी और कोका– कोला जैसे खतरनाक जहर के बारे में पहली बार पूरे देश को बताया तथा लोगो को बहुत बड़े स्तर पर जागृत किया।
हमारे देश की बिजली उत्पादन से सम्बंधित समस्या के प्रमाणिक उपाय बताये।
उनके द्वारा बताये गए सभी उपाय इतने असरदारदमदार और सरल है की उन्हें जिस दिन लागू किया जाये उसी दिन उस समस्या का समाधान हो जाये।
उनके ह्रदय में स्वदेश के प्रति इतनी तड़प थी की वो रात दिन अपने अंतिम स्वांस तक बस स्वदेश और स्वदेशी के लिए ही कार्य करते रहे। उन्होंने पूरे देश में १५,००० से अधिक प्रत्यक्ष व्याख्यान दिए और अगर उनके अप्रत्यक्ष व्याख्यानों को (T.V., CD, DVD, Internet etc) शामिल किया जाये तो गिनती करना असंभव हो जायेगा।
श्री राजीव दीक्षित जी ने विभिन्न विषयों पर अनेकों लेख व पुस्तकें लिखी हैं – बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का मकड़जाल,अष्टांग ह्रदयम् (स्वदेशी चिकित्सा), हिस्ट्री ऑफ द एमेन्सिसभारत और यूरोपीय संस्कृतिस्वदेशी एक नया दर्शन,हिन्दुस्तान लिवर के कारनामे आदि आदि। पर अफसोस हमारे पास एकदो प्रति बची हैं जिनको छपवाकर हमें मद्द करने वाला कोई आज तक नहीं मिला !
श्री राजीव दीक्षित ने पिछले ३० वर्षो तक हमारे देश के लिए कई घातक कानूनों को बनने से रोका तथा कई अच्छे कानून बनवाने में उनका योगदान रहा। भारतीय और पश्चिमी संस्कृतिसभ्यता आदि पर गहन अध्ययन कर पूरे देश के सामने रखा। श्री धर्मपाल जी के साथ मिलकर हमारे पुराने गौरवशाली इतिहास को पुनः एकत्रित किया और पूरे देश में प्रचारित किया।
उन्होंने कई बार अपनी जान पर खेलकर कई घातक कानूनों और खतरनाक विदेशी कम्पनियों को हमारे देश में आने से रोका। देश की रक्षा करते हुए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ालेकिन श्री राजीव दीक्षित जी पीछे नहीं हटे।
देश हित के कई कार्यो में कई बार उन्हें और उनके साथियों को लाठियांगोलियां खानी पड़ी लेकिन उन्होंने कभी अपने कदम पीछे नहीं बढ़ाये। श्री राजीव दीक्षित ने भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए एक बहुत ही मजबूत आधार बनाकर हमें दिया है जिस पर इस देश को बहुत जल्द महाशक्ति बनाया जा सकता है।
श्री राजीव दीक्षित जी बिना मीडिया की सहायता के ही पूरे देश के कोने कोने में जाकर रातदिन व्याख्यान देते रहे। उनकी आवाज जैसे भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आग उगलने वाली आवाज हो।
उनके सीने में देश के प्रति इतना प्रेम एवं तड़प थी की जेसे वो एक पल में ही इस देश को पुनः विश्वगुरु बना दे और अगर आज ही उनके बताये गए उपायों को हमारे देश में लागू कर दिया जाये तो सच में एक ही पल में ये देश पुनः विश्वगुरु बन सकता है।
हमारे देश की गरीबीभूखमरी आदि विकट समस्याओं को देखकर उनका दिल भर आता था। श्री राजीव दीक्षित ने हमें हमारे स्वर्णिम अतीत के बारे में बताकर हमारा स्वाभिमान जगाया। ‘भारत स्वाभिमान आन्दोलन’ उनके दिमाग की ही देन है।
बाबा रामदेव जी के संपर्क में आने के बाद ९ जनवरी २००९ को श्री राजीव दीक्षित जी दिशा निर्देश से “भारत स्वाभिमान” शुरू किया और इसका पूर्ण दायित्व अपने कंधो पर संभाला और पूरे देश के गांवगांवशहरशहर में घूम कर स्वदेशी कि अलख जगाई। श्री राजीव दीक्षित जी ने पूर्ण निर्भीकता के साथ विदेशी कंपनियों की पोल खोली तथा बहुत सारी विदेशी कंपनियों को हमारे देश से खदेड़ा जो कि हमारे देश को बहुत बुरी तरह लूट रही थी/लुटने वाली थी।
श्री राजीव दीक्षित जी ने ही डंकल प्रस्ताव के खिलाफ पूरे देश में गाँवगाँव जाकर जागृति फैलाई वरना आज हम अन्न के दाने दाने के लिए विवश हो जाते।
श्री राजीव दीक्षित जी लाखों युवाओ को देशभक्ति की राह पर लाये और उनके जीवन को दिव्य बना दिया जो की पश्चिमी सभ्यता एवं मानसिक गुलामी में पूर्ण रूप से डूब चुके थे। श्री राजीव दीक्षित जी अपनी हर एक बात प्रामाणिकता के साथ कहते थे उनके पास हर एक बात के तथ्य,सबूत होता था। उनके दिमाग में कम्पूटर से भी तेज गणनाएँ कर पाने की अद्भुत क्षमता थी। श्री राजीव दीक्षित जी के पास बहुत बार विदेशी कंपनियों और आसुरी ताकतों की धमकियां एवं ऑफर भी आते थे परन्तु श्री राजीव दीक्षित ना तो कभी बिके और न ही कभी रुके।
श्री राजीव दीक्षित जी पुरे जीवन ब्रह्मचारी रहे तथा पूरा का पूरा जीवन देश हित के कार्यो में लगा दिया। श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें “पूर्ण स्वराज” की परिभाषा समझाई और इसे प्राप्त करने के बहुत ही असरदार तरीके बताये।
राजीव भाई जिनका निष्कलंक जीवन सादगीस्वदेशीपवित्रताभक्तिश्रद्धाविश्वास से भरा हुआ था। चाहे लोगों ने उन्हें कितना भी कष्ट दिया हो उन्होंने उफ नहीं की।
बाबा रामदेव जी का राजीव भाई से पहला संवाद कनखल के आश्रम में हुआ था। राजीव भाई लगभग दो ढाई दशक से अपना संपूर्ण जीवन लोगों के लिये जी रहे थे। राजीव भाई भगवान के भेजे हुए एक श्रेष्ठतम रचना थेधरती पर एक ऐसी सौगात जिसे हम चाह कर भी पुननिर्मित नहीं कर सकते।
राजीव भाई के ह्रदय में एक ऐसी आग थीजिससे प्रतीत होता था कि वे अभी ही भ्रष्टतंत्र कोभ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे। आज पूरा देश उनके न होते हुये भी साथ खडा हुआ है। “व्यक्ति जब समिष्ट के संकल्प के साथ जीने लगता है तो वो सबका प्रिय हो जाता है। वे अपने माता– पिता के लाल नही थेबल्कि करोडोंकरोडों लोगों के दुलारे और प्यारे थे। वे भारत माता के लाल थे। एक मां की कोख धन्य होती है जब ऐसे लाल पैदा होते है। राजीव भाई हमारे भाई ही नहीं बल्कि देश के करोडोंकरोडों लोगों के भाई थे। प्रतिभावानविनम्रनिष्कलंक जीवन था राजीव भाई का। राजीव भाई को ‘इन्साइक्लोपीडिया’ कहा जाता था। वे चलते– फिरते अथाह ज्ञान के सागर थे। 5000 वर्षों का ज्ञानअसीम स्मृति वालेअपरिमित क्षमता वाले थे राजीव भाई। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता है। उनकी जिव्हा पर स्वयं माँ सरस्वती जी विराजमान रहते थे। उनकी आवाज में इतना ओज है की जो भी उनको आज भी एक बार सुन ले वो उनका भक्त हो जाये।
मीडिया ने कभी भी श्री राजीव दीक्षित को एवं उनके व्याख्यानों को नहीं दिखाया नहीं तो आज हमारा देश महाशक्ति बन चुका होता लेकिन फिर भी उनके पुरुषार्थ की वजह से आज देश जाग रहा है तथा उनके सपनों के भारत को बनाने के लिए उनके समर्थक विश्वजीत सिंह अनन्त जीगौरव भाई मिश्रा जीश्रीमती मुनेश देवी व उनकी टीम ने पिछले सालों से दिनरात की कड़ी मेहनत लाखों करोडों लोग तैयार कर चुके हैतथा दिनरात कार्य कर रहे है। अब इस देश को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता क्योकि इसकी नीव श्री राजीव दीक्षित के हाथो से स्थापित की गई है। श्री राजीव दीक्षित के समर्थक उनके कार्यो को पूरा करने के लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते है। बहुत ही जल्द एक नए “ भारत स्वाभिमान दल” के माध्यम से सभी समर्थक वापस एक बार फिर से एक मंच एक सोच के साथ खड़े होने वाले हैं अब भारत का उदय आप देखेंगे।
देश के गद्दारों से मिलकर उनकी हत्या करके श्री राजीव दीक्षित जी के शरीर को तो मिटा दिया गया है पर अब इस देश में लाखोकरोडो राजीव भाई पैदा हो गए है उन्हें मिटाना मुश्किल ही नहीं वरन असंभव भी हैहम सब मिलकर स्वर्णिम भारत का निर्माण अवश्य करेंगे चाहे कुछ भी हो जाये।
श्री राजीव दीक्षितजी कोई व्यक्ति नहीं थेअपितु वो एक “दिव्यआत्मा”एक विचारएक क्रांति का आगाजएक स्वदेशी अलख थे। वो भारत मां के अनमोल रत्न थे। जब वह बोलते थे तो घण्टों मन्त्रमुग्ध होकर लोग उनको सुनते रहा करते थे। राजीव भाई का मानना था कि उदारीकरणनिजीकरणतथा वैश्वीकरणये तीन ऐसी बुराइयां हैजो हमारे समाज को तथा देश की संस्कृति व विरासत को तोड़ रही है।
भारतीय न्यायपालिका तथा क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि भारत अभी भी उन कानूनों तथा अधिनियमों में जकड़ा हुआ है जिनका निर्माण ब्रिटिश राज में किया गया था और इससे देश लगातार गर्त में जाता जा रहा है। राजीव दीक्षित जी स्वदेशी जनरल स्टोर्स कि एक श्रृंखला बनाने का समर्थन करते थेजहाँ पर सिर्फ भारत में बने उत्पाद ही बेंचे जाते हैं। इसके पीछे के अवधारणा यह थीकि उपभोक्ता सस्ते दामों पर उत्पाद तथा सेवाएं ले सकता है और इससे निर्माता से लेकर उपभोक्तासभी को सामान फायदा मिलता हैअन्यथा ज्यादातर धन निर्माता व आपूर्तिकर्ता कि झोली में चला जाता है।
राजीव भाई ने टैक्स व्यवस्था के विकेन्द्रीकरण की मांग की और कहा कि वर्तमान व्यवस्था दफ्तरशाही में भ्रष्टाचार का मूल कारण है। उनका दावा था कि कि टैक्स का 80 प्रतिशत भाग राजनेताओं व अधिकारी वर्ग को भुगतान करने में ही चला जाता हैऔर सिर्फ 20 प्रतिशत विकास कार्यों में लगता है। उन्होंने वर्तमान बजट व्यवस्था की पहले कि ब्रिटिश बजट व्यवस्था से तुलना की और इन दोनों व्यवस्थाओं को सामान बताते हुए आंकड़े पेश किये। राजीव भाई का स्पष्ठ मत था कि आधुनिक विचारकों ने कृषि क्षेत्र को उपेक्षित कर दिया है। किसान का अत्यधिक शोषण हो रहा है तथा वे आत्महत्या की कगार पर पहुँच चुके हैं। वो हर बात तथ्योंसबूतोंआकडो एवं दस्तावेजों के साथ कहते थे.जब वो भारत के स्वर्णिम अतीत का गुणगान करते अथवा विदेशियों के द्वारा की गई आर्थिक लूट के आँकडे गिनवाना शुरू होते थे तो प्रतीत होता था जेसे उनका दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता हो। उस “दिव्यआत्मा” के दिमाग में ५,००० से भी ज्यादा वर्षों का ज्ञान समाहित था। उन्हें चलताफिरता सुपर कम्पुटर कहा जाता था।
श्री राजीव दीक्षित जी को अगर ज्ञातअज्ञात इतिहास के सबसे महान स्वदेशी महापुरुष कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। श्री राजीव भाई जी का जीवन सादगीपवित्रतासमर्पणउत्साहजोशस्वदेशी भाव से पूर्ण था। उन्होंने पहले “आज़ादी बचाओ आंदोलन” और फिर “भारत स्वाभिमान” के तहत पुरे देश को संगठित और आंदोलित किया। बारम्बार प्रणाम है ऐसे मातापिता के चरणों में जिन्होंने इस “दिव्यआत्मा” को जन्म दिया। वो अपने माता– पिता के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण देश के प्यारे– दुलारे हैवो माँ भारती के लाल है। उपरोक्त लिखी गयी इन सभी बातो के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए श्री राजीव दीक्षित के व्याख्यान सुने। एक बार विकिपीडिया पर भी उनके बारे में अवश्य पढ़े।
भाई को जानने/सुनने से पहले और बाद लोगों के विचार कुछ इस तरह के होते हैँ…..!!!! मित्रोँमेरी अभी की हालत यहीं हैकल तक जिन गानों पे सीटी बजाते थे आज उनहीँ गानों पर टीवी फोड़ने को दिल करता है। कल तक जिस क्रिकेट के हर पल को टीवी से चिपक कर देखते थे आज उसके बारे में एक शब्द सुनने को जी नहीं करता। कल तक जिन शहीदों की शहादत को अखबार में भी नहीं पढते थे आज उस शहादत को सुनकर खून में उबाल आ जाता है। कल तक जिन क्रांतिकारियों के बारें में पढाये जाने पर क्लास बंद कर देते थे आज उन क्रांतिकारियों के बारे में हर पल सोचते हैं। कल तक जो हर खूबसूरत लड़की को देख कर सपने सजाते थेआज हर क्रांतिकारी अपना भाई सा लगता है।
कल तक जिस तिरंगे को देख कर मुँह मोड़ लेते थे आज उस तिरंगे पे जान देने को जी चाहता हैकल तक जिस विदेशी डियो से खुश्बू आती थी आज उसी डियो को सामने देखकर भी दुर्गन्ध आती हैकल जिस डॉक्टर को भगवान समझते थे आज वोही डॉक्टर कसाई व विदेशी कम्पनी का दलाल लगता हैकल जिसे स्कुल मे पढते थे उसे दुनिया का श्रेष्ठ ज्ञान समझते थे आज वही रद्दी और बेकार हैकल जिसे ठंडा समझ कर पिया करते थे आज ऐसा लगता है जैसे शहीदो का खुन पिया होकल जिसे गोरेपन के लिये चेहरे और पूरी बॉडी पर रगड़ते थे आज समझ मे आया सबसे ज्यादा सूतिया तो बब्ब के बनायाकल जिन क्रिकेटरोँ को देश का मान और सम्मान समझते थे वो देश के दुश्मन और गद्दार निकलेकल तक जिसे हम आजादी समझ ते थे वो तो सबसे बडा झुठ निकलाकल तक जिसे भारत का संविधान मानते थे वो तो अग्रेजो का (Copy Paste) निकलाइससे बडा झूठ कोई हो ही नही सकता कि हम आजाद है और हमारा देश 1947 आजाद हुआ था

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